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यदि आप आसमाँ की ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं और यह सोच रहे हैं कि पायलट कैसे बनें तो ये लेख आपके लिए है। पायलट (Pilot) बनकर आप आसमाँ की ऊँचाइयों के साथ- साथ अपने कैरियर और सपनों की ऊँचाइयों को भी छू सकते हैं। यदि आप भी पायलट बनने का सपना संजोये हैं तो आपको 17 साल की उम्र से ही इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए और 12वीं कक्षा Physics (भौतिक विज्ञान), Chemistry (रसायन शास्त्र) और Maths (गणित) विषयों में न्यूनतम 50% अंकों के साथ उत्तीर्ण होनी चाहिए।

भारत में पायलट बनने के रास्ते

1. कमर्शियल पायलट;

2. भारतीय वायुसेना में पायलट। 

पायलट बनने के उपरोक्त दोनों तरीकों के बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे।

कमर्शियल पायलट

कमर्शियल पायलट कौन होता है :- कमर्शियल पायलट नागरिक या मालवाहक हवाई जहाज़ों के पायलट होते हैं जो बिज़नस के लिए हवाई जहाज़ उड़ाते हैं और इस काम के लिए उनको इतना वेतन मिलता है की वह भारत में किसी भी नौकरी के लिए मिलने वाले सर्वाधिक वेतनों में से एक होता है। आम तौर पर एक नागरिक हवाई जहाज़ में 2 कमर्शियल पायलट होते हैं। मुख्य पायलट को जहाज़ का कप्तान कहा जाता है और दूसरे पायलट को 1st अफ़सर कहा जाता है। कुछ बड़े हवाई जहाज़ों में 3 पायलट भी होते हैं और तीसरे पायलट को 2nd अफ़सर कहा जाता है।

कमर्शियल पायलट कैसे बनें :- कमर्शियल पायलट बनने के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) लेने की आवश्यकता होती है जो देश के विभिन्न फ्लाइंग स्कूलों में से किसी भी एक फ्लाइंग स्कूल से कमर्शियल पायलट का कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद मिलता है। किसी भी फ्लाइंग स्कूल में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग में प्रवेश पाने के लिए अभ्यर्थियों को English (अँग्रेज़ी), Physics (भौतिक विज्ञान) और Maths (गणित) विषयों की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है जिसके बाद अभ्यर्थियों को Pilot Aptitude Test, Interview (साक्षात्कार) और मेड़िकल परीक्षा में उत्तीर्ण होना पड़ता है। जो अभ्यर्थी इन सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो जाता है उसको सम्बंधित फ्लाइंग स्कूल के कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग कोर्स में प्रवेश मिल जाता है। भारत में इस कोर्स की अवधि लगभग 2- 3 वर्ष की होती है और इस ट्रेनिंग कोर्स में अभ्यर्थियों को पढ़ाई करने के अलावा कम से कम न्यूनतम अवधि की जहाज़ उड़ाने की ट्रेनिंग भी सफलतापूर्वक पूरी करनी होती है। CPL लाइसेंस प्राप्त करने के बाद और सम्बंधित ट्रेनिंग सफलतापूर्वक समाप्त करने के बाद पायलट को किसी भी नागरिक फ्लाइंग कंपनी जैसे एयर इंडिया, इंडिगो, विस्तारा आदि में सह- पायलट के रूप में नौकरी मिल सकती है या पायलट किसी निजी कंपनी के चार्टर्ड हवाई जहाज़ या मालवाहक (Cargo) जहाज़ उड़ाने के लिए भी नौकरी पा सकता है।

भारत के मुख्य कमर्शियल पायलट लाइसेंस ट्रेनिंग स्कूल

भारत में कई पायलट ट्रेनिंग स्कूल हैं जिनमें से कुछ मुख्य फ्लाइंग स्कूल निम्नलिखित हैं :-

i.  इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय उड़न अकादमी, अमेठी (उत्तर प्रदेश)

ii. राष्ट्रीय फ्लाइंग ट्रेनिंग संस्थान (National Flying Training Institute), महाराष्ट्र

iii. मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब

iv. बॉम्बे फ्लाइंग क्लब

v.  लुधिआना एविएशन क्लब

vi. अहमदाबाद एविएशन एंड एरोनॉटिक्स

कमर्शियल पायलट का वेतन

भारत में कमर्शियल पायलट का शुरुआती वेतन 10 लाख रूपये प्रति वर्ष तक हो सकता है परन्तु यह इस बात पर भी निर्भर करता है की आप किस फ्लाइंग कंपनी के लिए काम कर रहे हो। और पुराने और तजुर्बेकार (Experienced) पायलट या फ्लाइट कप्तान का वेतन 50 लाख रूपये प्रति वर्ष से भी अधिक हो सकता है।

कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) ट्रेनिंग कोर्स की फ़ीस

जिस प्रकार पायलट का वेतन अधिक होता है उसी प्रकार पायलट ट्रेनिंग कोर्स की फ़ीस भी अधिक होती है जो अलग- अलग फ्लाइंग स्कूल में 50 लाख रूपये तक या उस से भी अधिक हो सकती है। परन्तु यदि आप पायलट बनने के लिए तत्पर हैं तो पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए सम्बंधित नियमों और शर्तों के अनुसार बैंक से कुछ लोन भी मिल सकता है।

भारतीय वायु सेना के पायलट

भारतीय वायु सेना में पायलट कैसे बनें :- भारतीय वायुसेना में पायलट बनने के लिए 12वीं के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की परीक्षा और ग्रेजुएशन (B.Sc.) के बाद कंबाइंड डिफेन्स सर्विस (CDS) की परीक्षा के माध्यम से भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) में पायलट बना जा सकता है। वायु सेना में पायलट बनने के लिए भी अभ्यर्थी के पास 12वीं और ग्रेजुएशन (B.Sc.) में Physics (भौतिक विज्ञान), Chemistry (रसायन शास्त्र) और Maths (गणित) विषय होने चाहिए और उसके बाद NDA या CDS की लिखित परीक्षा, Pilot Aptitude Test, इंटरव्यू (SSB) और मेडिकल परीक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिए।

भारतीय वायु सेना के पायलट का वेतन

भारतीय वायुसेना, भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन है और वायु सेना के पायलट का वेतन वायु सेना में उनके पद के अनुसार भारत सरकार के मानकों के हिसाब से मिलता है।

भारतीय वायु सेना के पायलट ट्रेनिंग की फ़ीस

भारतीय वायुसेना में ट्रेनिंग के लिए अभ्यर्थियों को कोई फ़ीस नहीं देनी होती है। ट्रेनिंग का सारा खर्च वायु सेना ही उठाती है।

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प्राइवेट पायलट लाइसेंस (PPL)

उपरोक्त लिखित कमर्शियल पायलट और भारतीय वायुसेना के पायलट पेशेवर रूप से पायलट होते है और ये शौक के साथ- साथ नौकरी और वेतन के लिए भी हवाई जहाज़ उड़ाते हैं। परन्तु यदि आप सिर्फ़ शौंकिया तौर पर हवाई जहाज़ उड़ाना चाहते है तो उसके लिए भी प्राइवेट पायलट लाइसेंस (PPL) की आवश्यकता होती है जिसके लिए भी अभ्यर्थी को किसी फ्लाइंग स्कूल से 1 वर्षीय कोर्स करना होता है। PPL लाइसेंस प्राप्तकर्ता पायलट सिर्फ शौंकिया तौर पर अपने मनोरंजन के लिए हवाई जहाज़ उड़ा सकता है परन्तु वह कभी भी कमर्शियल पायलट की तरह नागरिक या मालवाहक हवाई जहाज़ नहीं उड़ा सकता और न ही किसी उड्डयन कंपनी में नौकरी कर सकता है। यदि कोई PPL लाइसेंस प्राप्तकर्ता पायलट भी कमर्शियल पायलट बनना चाहता है तो उसको पहले  किसी फ्लाइंग स्कूल से CPL लाइसेंस कोर्स पूरा करके CPL लाइसेंस प्राप्त करना होगा।

भारत के किसी भी फ्लाइंग स्कूल में प्रवेश सुनिश्चित करने से पहले अभ्यर्थियों को यह अवश्य जाँच लेना चाहिए की वह फ्लाइंग स्कूल Directorate General of Civil Aviation से मान्यता प्राप्त हो।

निष्कर्ष

यहाँ पर हमने भारत में विभिन्न पायलट ट्रेनिंग कोर्स, उनमें प्रवेश के लिए योग्यता, उन कोर्सों के लिए विभिन्न फ्लाइंग स्कूल, पायलट ट्रेनिंग कोर्स की फीस आदि के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि पायलट कैसे बनें। हम उम्मीद करते हैं कि यदि आप भी पायलट बनना चाहते हैं तो उपरोक्त जानकारी का लाभ लेकर आप पायलट बनने का अपना सपना पूरा कर पाएंगे।

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