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परिचय
भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य सन् 2030 तक पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना है।
यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और इसका उद्देश्य हमारे देश की कई विकासशील विकासवादी शक्तियों को संबोधित करना है। यह नीति शिक्षा संरचना के सभी पहलुओं का पुनरीक्षण प्रस्तावित करती है, जो कि भारत की परंपराओं और मूल्य प्रणालियों पर आधारित है। तो आइये जानते हैं शिक्षा नीति, 2020 के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य।
पुरानी और नयी शिक्षा नीति
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020; जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 की जगह लेगी, एक समावेशी ढांचा है, जो देश में प्राथमिक शिक्षा स्तर से उच्च शिक्षा स्तर तक केंद्रित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 की अंतिम शिक्षा नीति के बाद से अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 देश की शिक्षा नीति में एक बड़ा विकास था जो बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए कानूनी अधिरचना प्रदान करती है। और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020; अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 से आगे बढ़कर उठाया गया एक नया क़दम है।
पुरानी और नयी शिक्षा एवं पाठ्यक्रम संरचना
यह नीति इस बात की परिकल्पना करती है कि स्कूली शिक्षा में मौजूदा 10 + 2 संरचना को 3-18 वर्ष की आयु के बच्चों में 5 + 3 + 3 + 4 की एक नई शैक्षणिक और पाठयक्रम पुनर्गठन संरचना के साथ संशोधित किया जाएगा। वर्तमान में, 3-6 आयु वर्ग के बच्चे 10 + 2 संरचना में शामिल नहीं होते हैं क्योंकि कक्षा-1 आयु-6 वर्ष से शुरू होती है परंतु नए 5 + 3 + 3 + 4 संरचना में 3 साल की उम्र के बच्चे भी सम्मिलित होंगे जिसमें बचपन देखभाल, बेहतर शिक्षण और शिक्षा का एक मजबूत आधार होगा। 5 + 3 + 3 + 4 की नई शैक्षणिक और पाठयक्रम पुनर्गठन संरचना 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष की आयु वर्ग के हिसाब से निम्नलिखित तरीके से बाँटे जाने की योजना है:
- 3 से 8 वर्ष की आयु तक के 5 वर्ष :- आंगनवाड़ी/ प्री-स्कूल के 3 वर्ष + प्राथमिक स्कूल में पहली और दूसरी कक्षा के 2 वर्ष।
- 8 से 11 वर्ष की आयु तक के 3 वर्ष :- प्राथमिक स्कूल में तीसरी से पांचवी कक्षा तक के 3 वर्ष (प्रारंभिक चरण)।
- 11 से 14 वर्ष की आयु तक के 3 वर्ष :- कक्षा 6th से कक्षा 8th तक के 3 वर्ष (मध्य चरण)।
- 14 से 18 वर्ष की आयु तक के 4 वर्ष :- कक्षा 9th से कक्षा 12th तक के 4 वर्ष (माध्यमिक चरण)।
माध्यमिक चरण में बहु-विषयक अध्ययन के चार साल शामिल होंगे, जो मध्य चरण के विषय-उन्मुख शैक्षणिक और पाठ्यक्रम शैली पर आधारित होंगे, लेकिन अधिक से अधिक गहराई, अधिक महत्वपूर्ण सोच, जीवन की आकांक्षाओं पर अधिक ध्यान, और अधिक लचीलेपन के साथ विषयों के चुनाव के विकल्प के साथ। विशेष रूप से छात्रों को कक्षा 10 के बाद बाहर निकलने का विकल्प रहेगा और कक्षा 11 में अधिक विशेष स्कूल मॆं उपलब्ध व्यावसायिक या किसी भी अन्य विशिष्ट पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए अगले चरण में फिर से प्रवेश का विकल्प रहेगा।
छात्रों को विशेष रूप से माध्यमिक स्कूल मॆं शारीरिक शिक्षा, कला और शिल्प, और व्यावसायिक कौशल जैसे विषयों सहित अध्ययन करने के लिए बढ़े हुए लचीलेपन और विषयों की पसंद दी जाएगी ताकि वे अध्ययन और जीवन की योजना के अपने स्वयं के मार्ग डिजाइन कर सकें। छात्रों का समग्र विकास और एक विस्तृत साल-दर-साल विषयों और शिक्षा पाठ्यक्रमों की पसंद माध्यमिक विद्यालय की नई विशिष्ट विशेषता होगी। ‘कला’, ‘मानविकी’ और ‘विज्ञान’ के विषयों के बीच, कोई कठिन अलगाव नहीं होगा।
बोर्ड एवं अन्य विद्यालय परीक्षाएं
कक्षा 10 और 12 की बोर्ड की परीक्षाओं को जारी रखा जायेगा परंतु वर्तमान के बोर्ड परीक्षाओं और प्रवेश परीक्षाओं के ढाँचे को सुनियोजित तरीके से बदले जाने का प्रयास किया जयेगा जिस से कोचिंग कक्षाओं की आवश्यकता न पड़े। बोर्ड परीक्षाओं के स्वरूप में भी इतना बदलाव किया जायेगा की बच्चे अपनी पसंद के चुने हुए किन्हीं विषयों में बोर्ड की परीक्षा दे सकें। पूरे स्कूल के बच्चों की प्रगती को जाँचने के लिये कक्षा 10 और 12 की बोर्ड की परीक्षाओं के अलावा कक्षा 3, 5 और 8 में स्कूल के सभी बच्चों की स्कूल परीक्षा ली जायेगी।
विश्वविद्यालय प्रवेश
विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के सिद्धांत समान होंगे। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) उच्च गुणवत्ता वाले सामान्य अभिरुचि परीक्षण के आधार पर विज्ञान, मानविकी, भाषा, कला और व्यावसायिक विषयों में हर साल कम से कम दो बार परीक्षा नियोजित कराएगी। इन परीक्षाओं में वैचारिक समझ और ज्ञान को लागू करने की क्षमता का परीक्षण किया जाएगा और इसका उद्देश्य इन परीक्षाओं के लिए कोचिंग लेने की आवश्यकता को समाप्त करना होगा। छात्र व्यक्तिगत् पसंद के अनुसार विषयों का चयन करने में सक्षम होंगे और प्रत्येक विश्वविद्यालय प्रत्येक छात्र के व्यक्तिगत विषय पोर्टफोलियो को देख सकेगा और व्यक्तिगत हितों और प्रतिभा के आधार पर अपने कार्यक्रमों में छात्रों को स्वीकार कर सकेगा। एनटीए द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के अंकों के अनुसार ही देश के सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रवेश देना होगा जिस से विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं का बोझ छात्रों से कम हो सकेगा ।
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शिक्षक प्रशिक्षण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार शिक्षकों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा जिस से 2030 तक भारतीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित बदलावों को लागू करने मॆं शिक्षक अपना सहयोग दे सकें। 2030 तक शिक्षकों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 4 वर्षीय B.Ed होगी परन्तु 2 वर्षीय B.Ed का विकल्प सभी विशिष्ट स्नातक डिग्री धारकों के लिये खुला रहेगा ।
नयी शिक्षा नीति कब लागू होगी
नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार 2030-2040 के दशक में भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विषयवार लागू हो जायेगी ।