किसी भी व्यक्ति के निवास स्थान को उस व्यक्ति का वास्तु कहा जाता है। और वास्तु शास्त्र वह विज्ञान है जिसके माध्यम से सम्बंधित व्यक्ति के निवास स्थान का वातावरण, उसको प्रभावित करने वाली प्राकृतिक शक्तियां और उसके चारों तरफ वातावरण में मौजूद पंच-महाभूत या पंचतत्व (भूमि, गगन, वायु, अग्नि, जल) के तालमेल और उनके प्रभावों का ज्ञान प्राप्त होता है। यदि आप भी यह जानना चाहते हैं कि वास्तु शास्त्र क्या है, वास्तु शास्त्र कैसे सीखें और वास्तु शास्त्र का कोर्स करने और सीखने के बाद क्या कैरियर विकल्प हो सकते हैं तो यहाँ पर आपको इस से सम्बंधित पूरी जानकारी प्राप्त होगी। अतः आइये जानते हैं कि वास्तु शास्त्र क्या है और कैसे सीखें।
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वास्तु शास्त्र क्या है
वास्तु शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति के निवास स्थान का वातावरण, उसको प्रभावित करने वाली प्राकृतिक शक्तियां (गुरत्वाकर्षण शक्ति, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि) और उसके चारों तरफ के वातावरण में मौजूद पंच-महाभूत या पंचतत्व (भूमि, गगन, वायु, अग्नि, जल) के तालमेल और उनके प्रभावों का ज्ञान प्राप्त होता है। वास्तु शास्त्र में मुख्यतः घर का निर्माण, कार्यस्थल का निर्माण, पूजा स्थल का निर्माण और रसोईगृह का निर्माण आदि विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है। इस शास्त्र में मुख्यतः उपरोक्त स्थानों का निर्माण उस प्रकार से किये जाने का ज्ञान प्रदान किया जाता है जो सम्बंधित भवन में निवास करने वाले व्यक्तियों के लिए लाभदायक हो। अतः वह ज्ञान वास्तु शास्त्र ही प्रदान करता है जिसके माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हो कि किसी भी व्यक्ति के निवास स्थान का निर्माण और उसके आसपास का वातावरण उस व्यक्ति के लिए लाभदायक कैसे हो सकता है।
वास्तु शास्त्र कैसे सीखें या वास्तु शास्त्र कोर्स कैसे करें
भारत में वास्तु शास्त्र का कोर्स अनेक संस्थानों से किया जा सकता है और वास्तु शास्त्र में कई प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स और पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स करने के विकल्प भारत में मौजूद हैं। यदि आप वास्तु शास्त्र सीखने में रुचि रखते हैं तो आप अपनी पसंद और कैरियर विकल्पों के आधार पर निम्नलिखित में से कोई कोर्स कर सकते हैं:
- 3 या 6 महीने का वास्तु शास्त्र का सर्टिफिकेट कोर्स।
- वास्तु शास्त्र में 2 वर्षीय डिप्लोमा।
- वास्तु शास्त्र में 3 वर्षीय B.A. (बैचलर ऑफ़ आर्ट्स)।
- वास्तु शास्त्र में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स।
- वास्तु शास्त्र में 2 वर्षीय M.A. (मास्टर ऑफ़ आर्ट्स) कोर्स।
उपरोक्त कोर्स 12th के बाद या स्नातक डिग्री के बाद किये जा सकते हैं और इन कोर्सों में से कुछ कोर्स ऑनलाइन या पार्ट-टाइम भी किये जा सकते हैं। वास्तु शास्त्र के अधिकतर कोर्सों को आर्ट्स विषय/ संकाय का कोर्स माना जाता है परन्तु कुछ संस्थानों में आर्किटेक्चर के छात्रों को भी वास्तु शास्त्र से सम्बंधित विषय पढ़ाये और सिखाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त सिविल इंजीनियरिंग, डिज़ाइन और प्लानिंग आदि कोर्सों के छात्रों के लिए भी वास्तु शास्त्र का सर्टिफिकेट कोर्स उनके कैरियर में लाभदायक हो सकता है।
भारत में वास्तु शास्त्र कोर्स के प्रमुख संस्थान (टॉप कॉलेज)
भारत में वास्तु शास्त्र से सम्बंधित कोर्स मुख्यतः निम्नलिखित संस्थानों में उपलब्ध हैं:
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर (आर्किटेक्चर के छात्रों के लिए)
- श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी।
- मेवाड़ यूनिवर्सिटी, चितौडगढ़।
वास्तु शास्त्र की पढ़ाई के बाद कैरियर विकल्प
भारत में निवास स्थान और उद्योग-कार्यालयों से सम्बंधित बढ़ते भवन निर्माण कार्यों और संभावनाओं को देखते हुए वास्तु शास्त्र विशेषज्ञों और सलाहकारों की मांग सदैव बनी रहती है। अतः आप किसी भी वास्तु शास्त्र से सम्बंधित कोर्स करने और वास्तु शास्त्र विज्ञान को सीखने के बाद वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ या सलाहकार के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस कार्य के लिए आप अपना कार्यालय खोल सकते हैं या पहले से मौजूद किसी आर्किटेक्चर/ वास्तु शास्त्र सलाहकार फर्म या कंपनी में नौकरी भी कर सकते हैं। यदि आपकी रुचि पढ़ाने में है तो आप वास्तु शास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करके किसी सरकारी या प्राइवेट वास्तु शास्त्र के संस्थान में शिक्षक (टीचर) भी बन सकते हैं।
वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ/ सलाहकार की सैलरी
यदि आप एक वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ या सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं तो आपकी सैलरी या कमाई आपके अनुभव, स्थान और ग्राहकी पर निर्भर करती है। इंटरनेट के इस युग में एक वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ देश-विदेश में ऑनलाइन सेवा प्रदान करके भी अच्छी कमाई कर सकता है।
निष्कर्ष
यहाँ पर हमने वास्तु शास्त्र क्या है, वास्तु शास्त्र कैसे सीखें और वास्तु शास्त्र का कोर्स करने और सीखने के बाद कैरियर विकल्पों आदि के बारे में बताया और उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपको वास्तु शास्त्र को समझने और वास्तु शास्त्र में कैरियर बनाने की इच्छा रखने वाले अभ्यर्थियों के काम आएगी।
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