M.Phil kya hai aur M.Phil course kaise kare

M.Phil क्या है

M.Phil एक स्नातकोत्तर (पोस्ट-ग्रेजुएशन) शैक्षणिक एवं शोध (रिसर्च) कोर्स है, जो किसी भी अभ्यर्थी द्वारा उस विषय में किया जा सकता है जिस विषय में सम्बंधित अभ्यर्थी ने पोस्ट-ग्रेजुएशन कोर्स किया है। किसी भी विषय के सामान्य स्नातकोत्तर (पोस्ट-ग्रेजुएशन) कोर्स और M.Phil कोर्स में मुख्यतः यह अंतर होता है कि सामान्य पोस्ट-ग्रेजुएशन कोर्स में सम्बंधित पाठ्यक्रम की मात्र पढ़ाई कराई जाती है और M.Phil कोर्स में अभ्यर्थी को एक शोध कार्य करके उसकी रिपोर्ट (थीसिस) भी तैयार करनी होती है। अतः M.Phil कोर्स एक स्नातकोत्तर कोर्स होने के साथ-साथ एक अनुसंधान कार्य भी है। M.Phil कोर्स की अवधि 2 वर्ष की होती है। यहाँ पर आपको M.Phil से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी। अतः आइये जानते हैं कि M.Phil क्या है और M.Phil कोर्स कैसे करें?

M.Phil कोर्स में एडमिशन लेने की क्या योग्यता है

भारत के किसी भी विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) में M.Phil कोर्स में एडमिशन लेने के लिए अभ्यर्थी सम्बंधित विषय में न्यूनतम निर्धारित अंकों सहित पोस्ट-ग्रेजुएट (स्नातकोत्तर) डिग्री धारक होना चाहिए।

M.Phil कोर्स में एडमिशन कैसे होता है

भारत के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में M.Phil कोर्स में एडमिशन इंटरव्यू (साक्षात्कार) के आधार पर होता है। परन्तु अधिक आवेदन आने पर साक्षात्कार के लिए आवेदकों की छँटनी करने हेतू सम्बंधित विश्वविद्यालय किसी प्रवेश परीक्षा का आयोजन कर सकते हैं या फिर स्नातक / स्नातकोत्तर के प्राप्तांकों के आधार पर M.Phil कोर्स में एडमिशन कर सकते हैं।

M.Phil कोर्स किन विषयों में किया जा सकता है

आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स, भाषा आदि के अनेक विषयों में M.Phil कोर्स किया जा सकता है। परन्तु किसी भी विषय से M.Phil करने के लिए अभ्यर्थी सम्बंधित विषय से पोस्ट-ग्रेजुएट होना चाहिए।

M.Phil और Ph.D में क्या अंतर है

M.Phil की full form “Master of Philosophy” होती है और Ph.D की full form “Doctor of Philosophy” होती है। इन दोनों कोर्सों में किसी भी विषय पर शोध (रिसर्च) कार्य किया जाता है, परन्तु M.Phil कोर्स किसी भी शिक्षण पद के लिए आवश्यक पात्रता नहीं होती है। अर्थात M.Phil कोर्स मात्र किसी शोध (रिसर्च) कार्य के लिए किया जा सकता है और Ph.D कोर्स के माध्यम से अभ्यर्थी विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफ़ेसर पद के लिए शैक्षिक पात्रता प्राप्त करता है।

परन्तु यहाँ पर यह बता देना आवश्यक है कि किसी भी विषय के Ph.D कोर्स या M.Phil कोर्स में प्रवेश लेने के लिए शैक्षिक योग्यता सम्बंधित विषय में पोस्ट-ग्रेजुएशन (स्नातकोत्तर) डिग्री होती है, अतः किसी भी अभ्यर्थी के लिए M.Phil कोर्स के मुकाबले Ph.D कोर्स करना अधिक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। क्योंकि Ph.D की उपाधि M.Phil डिग्री के मुकाबले अधिक कैरियर विकल्पों के द्वार खोलती है।

M.Phil के बाद क्या करें

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि M.Phil किसी भी स्तर (विश्वविद्यालय/ कॉलेज/ विद्यालय) के किसी भी शिक्षण पद के लिए अनिवार्य पात्रता प्रदान नहीं करता है, परन्तु किसी भी संस्थान में सहायक प्रोफेसर/ लेक्चरर/ टीचर बनने के लिए M.Phil अभ्यर्थी को सामान्य पोस्ट-ग्रेजुएट अभ्यर्थी से अधिक वरीयता दी जा सकती है।

उपरोक्त के अलावा एक M.Phil डिग्री धारक अपने शोध कार्य को जारी रखने या उच्च स्तर तक ले जाने के लिए Ph.D में प्रवेश ले सकता है। Ph.D के अलावा अन्य कई अनुसंधान केंद्र हैं जहाँ पर M.Phil डिग्री धारक अभ्यर्थियों को नौकरी पाने में वरीयता दी जा सकती है।

निष्कर्ष

यहाँ पर हमने आपको M.Phil कोर्स से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी हैं। अतः किसी भी विषय में शोध (रिसर्च) कार्य करने की इच्छा रखने वाले अभ्यर्थियों के समक्ष Ph.D के अलावा M.Phil के माध्यम से भी रिसर्च (शोध) करने का विकल्प उपलब्ध है।

परन्तु भारत की नयी शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार इस शिक्षा नीति के पूर्णतया लागू हो जाने के उपरान्त M.Phil कोर्स भारत की शिक्षा प्रणाली से समाप्त हो जाएगा। अर्थात, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में M.Phil कोर्स को समाप्त कर दिए जाने का प्रस्ताव है।

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