chemical engineering kya hai

केमिकल इंजीनियरिंग; इंजीनियरिंग की वह शाक्षा या ब्रांच होती है जिसमें छात्रों को कच्चे माल और रसायनों का प्रयोग करके विभिन्न उत्पादों (कपड़ा, ईंधन, पेंट आदि) के डिज़ाइन, निर्माण, उपयोग और प्रयोग आदि से सम्बंधित पढ़ाई कराई और सिखाई जाती है। केमिकल इंजीनियर मुख्यतः केमिस्ट्री, बायोलॉजी, गणित और एनवायर्नमेंटल साइंस आदि विषयों के सिद्धांतों का प्रयोग करके रसायनों के माध्यम से केमिकल उत्पादों के निर्माण, डिज़ाइन और प्रयोग आदि का कार्य करते हैं। यदि आप भी एक केमिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं और केमिकल इंजीनियरिंग से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी आपको यहाँ पर मिलेगी। अतः आइये जानते हैं कि केमिकल इंजीनियरिंग क्या है और केमिकल इंजीनियर कैसे बनें।

केमिकल इंजीनियरिंग क्या है

केमीकल इंजीनियरिंग मुख्यतः इंजीनियरिंग की वह ब्रांच होती है जिसमें छात्रों को रसायन (केमिकल) आदि के प्रयोग से विभिन्न उत्पादों (पेंट, ईंधन, कपड़ा, अन्य उत्पाद) के डिज़ाइन, निर्माण और उपयोग आदि से सम्बंधित पढ़ाई कराई और सिखाई जाती है। केमिकल इंजीनियरिंग विषयों में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, कंट्रोल इंजीनियरिंग, केमिकल रिएक्शन इंजीनियरिंग, न्यूक्लियर इंजीनियरिंग, बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग, बायोलॉजी, केमिस्ट्री और गणित आदि के फंडामेंटल और सिद्धांत शामिल होते हैं।

केमिकल इंजीनियरिंग में कौन कौन से सब्जेक्ट होते हैं

केमिकल इंजीनियरिंग कोर्स में मुख्यतः निम्नलिखित या इनसे मिलते-जुलते विषय पढ़ाये और सिखाये जाते हैं:-

  • इंजीनियरिंग फिजिक्स;
  • इंजीनियरिंग केमिस्ट्री;
  • इंजीनियरिंग मैथमेटिक्स;
  • इंजीनियरिंग मैटेरियल्स;
  • केमिकल टेक्नोलॉजी;
  • फ्लूइड मैकेनिक्स;
  • इंजीनियरिंग थर्मोडायनामिक्स;
  • केमिकल रिएक्शन इंजीनियरिंग;
  • मैटेरियल्स टेक्नोलॉजी;
  • स्ट्रेंथ ऑफ़ मैटेरियल्स;
  • पॉलीमर इंजीनियरिंग;
  • प्रोसेस इक्विपमेंट डिज़ाइन; आदि।

केमिकल इंजीनियरिंग के कौन कौन से कोर्स होते हैं

भारत में केमिकल इंजीनियरिंग के मुख्यतः निम्नलिखित कोर्स किये जा सकते हैं:-

  • 3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स;
  • B.Tech;
  • M.Tech;
  • Ph.D

केमिकल इंजीनियरिंग कितने साल का कोर्स होता है

भारत में केमिकल इंजीनियरिंग के विभिन्न कोर्सों की निम्नलिखित अवधि होती है:-

  • इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स: 3 वर्ष।
  • B.Tech: 4 वर्ष।
  • M.Tech: 2 वर्ष।

Chemical Engineering कोर्स में एडमिशन कैसे होता है

भारत में केमिकल इंजीनियरिंग के विभिन्न कोर्सों में एडमिशन निम्नलिखित प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से होता है:-

  • इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स: सम्बंधित राज्य की पॉलिटेक्निक प्रवेश परीक्षा।
  • B.Tech: JEE (Main) / JEE (Advanced)
  • M.Tech: GATE

केमिकल इंजीनियरिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेज

भारत में बी.टेक (केमिकल इंजीनियरिंग) कोर्स के लिए कुछ श्रेष्ठ कॉलेज निम्नलिखित हैं:-

  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (I.I.T.), मुंबई;
  • I.I.T., चेन्नई;
  • I.I.T., दिल्ली;
  • I.I.T., खड़गपुर;
  • वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (V.I.T.), वेल्लोर;
  • SRM यूनिवर्सिटी, चेन्नई;
  • दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU), दिल्ली;
  • इंस्टिट्यूट ऑफ़ केमिकल टेक्नोलॉजी (ICT), मुंबई;
  • MNNIT, प्रयागराज (इलाहबाद);
  • निरमा यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद; आदि।

केमिकल इंजीनियर कैसे बनें

भारत में Chemical Engineer बनने के लिए अभ्यर्थी दसवीं कक्षा (विज्ञान और गणित विषयों सहित) के बाद किसी पॉलिटेक्निक संस्थान से केमिकल इंजीनियरिंग में 3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं या बारहवीं कक्षा (फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित विषयों सहित) के बाद किसी इंजीनियरिंग संस्थान से केमिकल इंजीनियरिंग में 4 वर्षीय B.Tech डिग्री कोर्स कर सकते हैं।

उपरोक्त दोनों में से कोई भी कोर्स सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के बाद अभ्यर्थी केमिकल इंजीनियर के रूप में कार्य या नौकरी कर सकते हैं।

केमिकल इंजीनियर कौन बन सकता है

जैसा कि हमने ऊपर बताया, भारत में 3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा (केमिकल इंजीनियरिंग) कोर्स या 4 वर्षीय B.Tech (Chemical Engineering) कोर्स सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी केमिकल इंजीनियर के रूप में नौकरी या कार्य कर सकते हैं।

केमिकल इंजीनियर का क्या काम होता है

एक केमिकल इंजीनियर का काम मुख्यतः रासायनिक प्रक्रियाओं का इस प्रकार से डिजाइन, विकसित और सुधारना होता है जो किसी भी उत्पाद की निर्माता कंपनी या फर्म के लिए लाभदायक साबित हो सकता हो।

उपरोक्त के अलावा केमिकल इंजीनियर के निम्नलिखित मुख्य कार्य होते हैं:-

  • रासायनिक उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना;
  • रसायनों से जुड़ी औद्योगिक प्रक्रियाओं को डिजाइन, विकसित और कार्यान्वित करने के लिए कार्य करना;
  • विभिन्न रासायनिक पदार्थों पर डेटा प्राप्त करने और उनका विश्लेषण करने का कार्य;
  • ऊर्जा की खपत का विश्लेषण करना और प्रभावी ऊर्जा संरक्षण के उपायों का पालन करना; आदि।

Chemical Engineer की Salary कितनी होती है

भारत में एक केमिकल इंजीनियर की शुरुआती सैलरी 25 हजार रूपये प्रति माह से लेकर 50 हजार रूपये प्रति माह तक हो सकती है, जो समय और अनुभव के साथ नियमानुसार बढ़ती रहती है।

सरकारी विभागों में केमिकल इंजीनियरों को उनके पद और वेतनमान के आधार पर वेतन प्राप्त होता है।

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निष्कर्ष

यहाँ पर इस लेख के माध्यम से आपको केमिकल इंजीनियरिंग और केमिकल इंजीनियर बनने से सम्बंधित विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है, जैसे कि केमिकल इंजीनियरिंग क्या है, केमिकल इंजीनियरिंग के कोर्स/ सब्जेक्ट/ टॉप कॉलेज, केमिकल इंजीनियर कैसे बनें, केमिकल इंजीनियर का काम/ सैलरी आदि। यदि आप भी एक केमिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं तो आप इस जानकारी का लाभ उठा कर केमिकल इंजीनियर बनने का अपना सपना पूरा कर सकते हैं।

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